Retirement Age Hike:
चीन सरकार ने हाल ही में देश की रिटायरमेंट नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। यह नया नियम देश की बदलती जनसांख्यिकी और आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर लाया गया है। आइए इस नई नीति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।
नई रिटायरमेंट उम्र
इस नए नियम के अनुसार:
• पुरुष कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र धीरे-धीरे बढ़ाकर 63 वर्ष की जाएगी।
• महिलाओं के लिए यह उम्र उनके व्यवसाय के आधार पर 55 से 58 वर्ष के बीच होगी।
यह पहले की नीति से काफी अलग है, जिसमें शहरी क्षेत्रों में पुरुषों के लिए 60 वर्ष और महिलाओं के लिए 50 या 55 वर्ष की रिटायरमेंट उम्र निर्धारित थी।
बदलाव के पीछे के कारण
इस नीतिगत बदलाव के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:
1. पेंशन फंड पर बढ़ता दबाव: चीन की बढ़ती बुजुर्ग आबादी के कारण पेंशन फंड पर दबाव लगातार बढ़ रहा है।
2. घटता कार्यबल: युवा आबादी में कमी के कारण देश का कार्यबल तेजी से घट रहा है।
3. आर्थिक चुनौतियां: धीमी होती अर्थव्यवस्था के कारण सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ रहा है।
4. दीर्घकालिक स्थिरता: यह कदम पेंशन सिस्टम और श्रम बाजार में दीर्घकालिक संतुलन बनाने के लिए उठाया गया है।
काम करने की अवधि में वृद्धि
नई नीति में एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है:
• पेंशन पाने के लिए न्यूनतम काम करने की अवधि को 15 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष किया जा रहा है।
• यह बदलाव 2030 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
इस कदम का उद्देश्य पेंशन फंड को मजबूत करना और लोगों को लंबे समय तक काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
जनता का विरोध और चिंताएं
इस नई नीति की घोषणा के बाद चीन में व्यापक जन-विरोध देखने को मिला है। नागरिकों की मुख्य चिंताएं हैं:
1. जबरन कार्यकाल वृद्धि: लोगों का मानना है कि यह कदम उन्हें जबरन लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर करेगा।
2. पेंशन में देरी: रिटायरमेंट की उम्र बढ़ने से पेंशन मिलने में देरी होगी, जो कई लोगों के लिए चिंता का विषय है।
3. युवा बेरोजगारी: कई लोगों का तर्क है कि बुजुर्गों के लंबे समय तक काम करने से युवाओं के लिए नौकरियों की कमी और बढ़ सकती है।
4. जीवन की गुणवत्ता: लंबे समय तक काम करने से लोगों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
बढ़ती बुजुर्ग आबादी की चुनौतियां
चीन की जनसांख्यिकी तेजी से बदल रही है, जो इस नीति के पीछे एक प्रमुख कारण है:
• अनुमान है कि 2030-2035 तक देश की 30% आबादी बुजुर्ग होगी।
• 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 40% तक पहुंच सकता है।
इस बढ़ती बुजुर्ग आबादी के कारण पेंशन सिस्टम पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज की 2019 की एक रिपोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर मौजूदा स्थिति जारी रही, तो 2035 तक राज्य का पेंशन फंड पूरी तरह से समाप्त हो सकता है।
नीति के संभावित प्रभाव
इस नई नीति के कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं:
1. पेंशन फंड का स्थिरीकरण: लंबे समय तक काम करने से पेंशन फंड पर दबाव कम हो सकता है।
2. श्रम बल में वृद्धि: अधिक लोगों के लंबे समय तक काम करने से देश के कार्यबल में वृद्धि हो सकती है।
3. आर्थिक गतिविधि में बढ़ोतरी: अनुभवी कर्मचारियों के लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता बढ़ सकती है।
4. सामाजिक तनाव: हालांकि, यह नीति सामाजिक तनाव और पीढ़ियों के बीच संघर्ष को भी बढ़ा सकती है।
चुनौतियां और समाधान
इस नीति के कार्यान्वयन में कई चुनौतियां हैं:
1. जनता का विरोध: सरकार को लोगों की चिंताओं को संबोधित करना होगा और नीति के लाभों के बारे में जागरूकता फैलानी होगी।
2. युवा बेरोजगारी: युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर सृजित करने की आवश्यकता होगी।
3. स्वास्थ्य चुनौतियां: बुजुर्गों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक स्वास्थ्य नीतियों की आवश्यकता होगी।
4. कार्यस्थल अनुकूलन: कंपनियों को बुजुर्ग कर्मचारियों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण बनाना होगा।
चीन की नई रिटायरमेंट नीति एक जटिल मुद्दे का समाधान करने का प्रयास है। यह नीति देश की बदलती जनसांख्यिकी, आर्थिक चुनौतियों और पेंशन सिस्टम की दीर्घकालिक स्थिरता के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियां हैं, जिन्हें सावधानीपूर्वक संबोधित करने की आवश्यकता है।
सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वह इन चिंताओं को संबोधित करे और नीति के कार्यान्वयन में लचीलापन लाए। साथ ही, युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करने और बुजुर्गों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए समग्र नीतिगत दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।
अंततः, इस नीति की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह चीन की अर्थव्यवस्था और समाज के विभिन्न वर्गों के हितों के बीच कितना अच्छा संतुलन बना पाती है। यह एक ऐसा कदम है जो न केवल चीन के लिए, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण हो सकता है, जो समान जनसांख्यिकीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।