RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में तीन सहकारी बैंकों पर कड़ी कार्रवाई की है। ये बैंक नियमों का उल्लंघन करने के दोषी पाए गए हैं। आइए इस मामले की विस्तृत जानकारी लेते हैं।
कार्रवाई का कानूनी आधार
आरबीआई ने यह कार्रवाई बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 46(4)(i), 56 और 47ए (1)(c) के प्रावधानों के तहत की है। ये प्रावधान केंद्रीय बैंक को नियमों का उल्लंघन करने वाले बैंकों पर जुर्माना लगाने का अधिकार देते हैं।
प्रभावित बैंक और जुर्माने की राशि
1. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर सहकारी बैंक लिमिटेड, नासिक, महाराष्ट्र: 50,000 रुपये
2. द अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अनंतनाग, कश्मीर: 5 लाख रुपये
3. लखनऊ विश्वविद्यालय प्राथमिक सहकारी बैंक लिमिटेड: 3 लाख रुपये
नियम उल्लंघन के कारण
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर सहकारी बैंक लिमिटेड:
- बैंक ने अपने निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को ऋण स्वीकृत किया, जो नियमों के विरुद्ध है।
द अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और लखनऊ विश्वविद्यालय प्राथमिक सहकारी बैंक लिमिटेड:
- दोनों बैंकों ने विवेकपूर्ण अंतर बैंक (सकल) और काउंटर पार्टी जोखिम सीमाओं का पालन नहीं किया।
जांच प्रक्रिया
1. वैधानिक निरीक्षण: आरबीआई ने इन बैंकों का नियमित निरीक्षण किया, जिसमें नियमों के उल्लंघन का पता चला।
2. कारण बताओ नोटिस: इसके बाद, तीनों बैंकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
3. जवाब और जांच: बैंकों के जवाब प्राप्त होने के बाद आरबीआई ने गहन जांच की।
4. आरोपों की पुष्टि: जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर ही जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया।
ग्राहकों पर प्रभाव
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि इस कार्रवाई का प्रभाव बैंक और ग्राहकों के बीच होने वाले लेनदेन या समझौतों पर नहीं पड़ेगा। यह एक महत्वपूर्ण बात है, जो ग्राहकों को आश्वस्त करती है कि उनके खाते और लेनदेन सुरक्षित हैं।
आरबीआई की भूमिका
इस कार्रवाई से स्पष्ट होता है कि आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र में नियमों के पालन को लेकर बेहद गंभीर है। केंद्रीय बैंक नियमित रूप से बैंकों का निरीक्षण करता है और किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करता है।
यह कार्रवाई भारतीय बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सहकारी बैंकों को भी एक संदेश देता है कि वे नियमों का कड़ाई से पालन करें। ग्राहकों के लिए यह आश्वासन है कि उनके हितों की रक्षा के लिए नियामक संस्थाएं सतर्क हैं। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि बैंक अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करें ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियां न उत्पन्न हों।