RBI: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लोन अकाउंट्स पर पेनल चार्ज और पेनल इंटरेस्ट से संबंधित नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह नया नियम 1 जनवरी, 2024 से लागू हो गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को राजस्व बढ़ाने के लिए अनुचित जुर्माना लगाने से रोकना है।
नए नियम की मुख्य बातें
1. बैंक और NBFC अब केवल “उचित” डिफॉल्ट चार्ज लगा सकते हैं।
2. दंडात्मक शुल्क सिर्फ भुगतान में चूक हुई रकम पर ही लगाया जा सकेगा।
3. जुर्माना तर्कसंगत होना चाहिए।
4. यह नियम लोन रीपेमेंट में चूक के मामले में भी लागू होगा।
नियम लागू करने की समय सीमा
RBI ने बैंकों, NBFC और अन्य संबंधित संस्थाओं को इन संशोधित नियमों को लागू करने के लिए तीन महीने का विस्तार दिया है, जो अप्रैल 2024 तक चलेगा।
ग्राहकों के लिए फायदे
1. अनुचित जुर्माने से बचाव होगा।
2. लोन चुकाने में राहत मिलेगी।
3. केवल चूक की गई राशि पर ही जुर्माना लगेगा।
4. बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी।
बैंकों और NBFC पर प्रभाव
1. राजस्व बढ़ाने के लिए अनुचित तरीके नहीं अपना सकेंगे।
2. जुर्माना लगाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी।
3. ग्राहक संबंध सुधारने का अवसर मिलेगा।
जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों के लिए कड़े नियम
भारतीय बैंक संघ (IBA) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा लिमिटेड (NESL) एक ऐसी प्रणाली विकसित कर रहे हैं, जो जानबूझकर लोन न चुकाने वालों को जल्दी से डिफॉल्टर घोषित करेगी। इससे ईमानदार ग्राहकों और जानबूझकर चूक करने वालों के बीच अंतर स्पष्ट होगा।
डिफॉल्ट की स्थिति
NESL के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 10 से 100 करोड़ रुपये के लोन में सबसे अधिक डिफॉल्ट देखा गया है। यह स्थिति चिंताजनक है और इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
नए नियम का महत्व
यह नया नियम भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार है। यह न केवल ग्राहकों को अनुचित जुर्माने से बचाएगा, बल्कि बैंकों और NBFC को भी अपनी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए प्रेरित करेगा। इससे लंबे समय में बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास बढ़ेगा और ग्राहक-बैंक संबंध मजबूत होंगे।
RBI का यह नया नियम बैंकिंग क्षेत्र में एक स्वागत योग्य कदम है। यह ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए, बैंकिंग प्रणाली में निष्पक्षता और पारदर्शिता लाने का प्रयास करता है। हालांकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए बैंकों और NBFC को अपनी प्रणालियों में आवश्यक बदलाव करने होंगे। साथ ही, ग्राहकों को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना होगा और समय पर लोन चुकाने का प्रयास करना चाहिए।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि यह नियम भारतीय वित्तीय क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है। इससे न केवल ग्राहकों को लाभ होगा, बल्कि लंबे समय में यह बैंकिंग प्रणाली को और अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनाने में मदद करेगा।