1. पुराने ₹5 का सिक्का क्यों बंद किया गया?
पुराना ₹5 का सिक्का काफी मोटा और भारी हुआ करता था, जिसमें धातु की मात्रा अधिक थी। इसे बनाने के लिए अधिक मात्रा में मेटल की आवश्यकता होती थी, जो कि आरबीआई के लिए महंगा साबित हो रहा था। इसके अलावा, पुराने सिक्के का मोटा आकार और धातु के प्रकार के कारण यह धातु तस्करों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया था। इन कारणों को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने पुराने ₹5 के मोटे सिक्कों की छपाई बंद कर दी।
2. धातु का दुरुपयोग और तस्करी की समस्या
पुराने मोटे ₹5 के सिक्के का धातु कुछ ऐसे तत्वों से बना हुआ था जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए अनुकूल माने जाते थे। बांग्लादेश जैसे देशों में इन सिक्कों की तस्करी की जा रही थी, जहां इस धातु का उपयोग ब्लेड बनाने में किया जा रहा था। आश्चर्य की बात यह है कि एक सिक्के से कई ब्लेड बनाए जाते थे, और इन ब्लेड्स को 2 रुपये प्रति ब्लेड के हिसाब से बेचा जाता था। यह अवैध गतिविधि आरबीआई और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई थी, इसलिए इस सिक्के की छपाई पर रोक लगाना जरूरी हो गया।
3. तस्करी पर लगाम लगाने का प्रयास
तस्करी के कारण भारत के बहुत सारे ₹5 के सिक्के सीमापार भेजे जा रहे थे, जिससे देश में सिक्कों की कमी और सरकारी धातु का दुरुपयोग होने लगा। बांग्लादेश में तस्करी किए गए इन सिक्कों को पिघलाया जाता था और फिर इनकी धातु से अन्य वस्तुएं बनाई जाती थीं। इन गतिविधियों को देखते हुए आरबीआई ने सुरक्षा कारणों से यह कदम उठाया और पुराने ₹5 के सिक्के की छपाई बंद कर दी।
4. नया ₹5 का सिक्का: क्या हैं इसके फायदे?
आरबीआई ने पुराने मोटे ₹5 के सिक्के के स्थान पर एक नए डिजाइन का पतला और हल्का सिक्का जारी किया है। यह नया सिक्का धातु के उन तत्वों से बना है जो तस्करी के लिहाज से उतने फायदेमंद नहीं हैं, यानी इसे पिघलाकर अन्य वस्तुएं बनाना कठिन है। इसके अलावा, यह नया सिक्का बनाने में लागत भी कम आती है, जिससे सरकार पर आर्थिक भार भी घटता है।
5. पुराने सिक्कों की पहचान और उनका मौजूदा उपयोग
जो भी नागरिक अभी तक पुराने ₹5 के सिक्कों का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। पुराने सिक्के भी वैध हैं और बाजार में मान्य हैं, लेकिन अब उनकी छपाई बंद कर दी गई है। लोग पुराने सिक्कों को बैंकों में बदल सकते हैं, हालांकि यह जरूरी नहीं है, क्योंकि ये अभी भी मान्य मुद्रा हैं।
6. ₹2000 के नोट का भी हुआ था बंद
₹5 के सिक्के से पहले ₹2000 के नोट को भी आरबीआई ने बंद करने का निर्णय लिया था। नवंबर 2016 में विमुद्रीकरण के दौरान ₹500 और ₹1000 के पुराने नोट बंद किए गए थे और उनकी जगह ₹2000 के नोट जारी किए गए थे। हालांकि, समय के साथ सरकार ने महसूस किया कि इस उच्च मूल्यवर्ग के नोट की आवश्यकता अब नहीं है। इसलिए मई 2023 में ₹2000 के नोट को भी चलन से बाहर कर दिया गया।
7. ₹5 के सिक्के की बदलती स्थिति: क्या हैं अन्य सिक्कों के भविष्य की संभावनाएं?
आरबीआई का यह कदम दिखाता है कि भविष्य में भी समय-समय पर धातु आधारित सिक्कों की संरचना और उनकी छपाई में बदलाव किए जा सकते हैं। देश में नकदी की स्थिति, धातु की उपलब्धता और तस्करी जैसी समस्याओं के मद्देनजर अन्य सिक्कों में भी बदलाव संभव है। सरकार का यह कदम धातु की तस्करी और अन्य अनियमितताओं को रोकने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
8. कैसे बढ़ेगी देश की आर्थिक सुरक्षा?
पुराने ₹5 के सिक्के को बंद करके और उसकी जगह नए सिक्के को पेश करने का आरबीआई का निर्णय आर्थिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक सकारात्मक कदम है। इससे न केवल धातु का संरक्षण होगा, बल्कि तस्करी पर भी लगाम लगेगी। नए सिक्के के साथ आरबीआई ने धातु के प्रकार को भी बदल दिया है, जिससे अब सिक्के का दुरुपयोग कठिन हो जाएगा।
भारत में ₹5 के पुराने सिक्के को बंद कर नए सिक्के को जारी करने का फैसला देश की आर्थिक सुरक्षा और धातु के समुचित उपयोग के लिए लिया गया है। धातु की तस्करी और दुरुपयोग पर नियंत्रण के लिए आरबीआई का यह निर्णय स्वागत योग्य है। नए सिक्के से तस्करी की संभावना कम हो जाएगी और देश में नकली सिक्कों का प्रवाह भी रुकने की संभावना है।
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